प्रयागराज: दिवाली के दौरान पूरा भारत भगवान राम की पूजा और उनके द्वारा किये गए कार्यों का बखान करता है| लेकिन प्रयागराज में एक ऐसी जगह है जहां दिवाली के दौरान भगवान राम नहीं बल्कि रावण का बखान किया जाता है| जी हाँ, हम बात कर रहे है रावण का ननिहाल और प्रयागराज के कटरा क्षेत्र की, जहां लोग असुरों के राजा रावण की पूजा करते हैं। उसके सम्मान में शोभायात्रा निकाली जाती है और रामलीला में उसके चरित्र का विशेष बखान किया जाता है।
रामायण के अनुसार, ऋषि भारद्वाज ने अपनी बेटी इलाविदा का विवाह विश्रवा के साथ किया था और इलाविदा ने धन के स्वामी और लंका के मूल शासक रहे कुबेर को जन्म दिया था। बाद में विश्रवा ने सुमाली की बेटी कैकेसी से भी विवाह किया, जिनसे उनके चार बच्चे हुए। इनमें सबसे बड़ा रावण था, जिसने अपने सौतेले भाई कुबेर को राज्य से खदेड़कर सिंहासन पर कब्जा जमा लिया था।
बता दे कि कटरा और पथरचट्टी की रामलीला को शहर में दो प्रमुख और सबसे पुरानी रामलीला में गिना जाता है| कटरा की रामलीला 28 सितंबर को शुरू होगी। कटरा की रामलीला इस मायने में भी अलग मानी जाती है, क्योंकि इसमें देवी सीता के जन्म और उनका नाम कैसे पड़ा यह भी दिखाया जाता है। इसके साथ ही रामलीला में रावण का किरदार ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखने वाला ही निभाएगा| इसके साथ ही सिर्फ रामलीला में ही नहीं, बल्कि स्थानीय लोग भी अवसर को यादगार बनाने के लिए ‘रावण बारात’ निकालते हैं। इस साल कमिटी ने रावण के परिधानों और आभूषणों पर 2 लाख रुपये खर्च किए हैं।
यह भी पढ़े- UP: यहां केवल महिलाएं ही करती हैं पितरों का पिंडदान