आगरा: श्रीमद्भगवतगीता को छोड़कर विश्व की किसी भी धर्म या सम्प्रदाय के किसी भी ग्रन्थ का जन्म-दिन नहीं मनाया जाता| क्या आप इसका कारण जानते है| अगर नहीं तो हम आपको बताते है इसके पीछे का राज| आपको बता दे कि श्रीमद्भगवतगीता को छोड़कर दुनिया में जितने ग्रन्थ है सब मनुष्य द्वारा संकलित है| जबकि गीता का जन्म स्वयं श्री भगवान के श्री मुख से हुआ है।
अगहन (मार्गशीर्ष) मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे ‘मोक्षदा’ एकादशी कहा गया है तथा जो काल, धर्म, सम्प्रदाय जाति विशेष के लिये नहीं अपितु सम्पूर्ण मानव-जाति के लिये है। गीता ग्रन्थ में कहीं भी ‘श्रीकृष्ण उवाच’ शब्द नहीं आया है, बल्कि ‘‘श्री भगवानुवाच’’ का प्रयोग किया गया है। वेदों और उपनिषदों का सार के अलावा मनुष्य को इस लोक और परलोक दोनों में मंगलमय मार्ग दिखाने वाला गीता ग्रन्थ है। प्राय: कुछ ग्रन्थों में कुछ न कुछ सांसारिक विषय मिले रहे हैं, लेकिन श्रीमद्भगवतगीता का एक भी शब्द सदुपदेश से खाली नहीं है।
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