Delhi में एमसीडी चुनाव हुए करीब दो महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक राजधानी को अपने नए मेयर का इंतजार है। यह इंतजार कितना लंबा होगा, यह भी तय नहीं है। एक महीने में दूसरी बार सदन में हंगामे की वजह से मेयर का चुनाव टालना पड़ा। 6 जनवरी को शपथ की शुरुआत के बाद ही मारपीट हो गई तो इस बार वोटिंग से ठीक पहले बात बिगड़ गई। 250 पार्षदों की शपथ तक तक सबकुछ ठीक-ठीक चला। बीच-बीच में कुछ नारेबाजी जरूर हुई, लेकिन अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम के बीच पार्षद भी काफी हद तक मर्यादा में रहे, लेकिन फिर अचानक दोनों पक्ष आपे से बाहर हो गया और सदन को स्थगित करना पड़ा।
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शपथ ग्रहण के बाद पीठासीन अधिकारी ने कुछ देर के विराम का ऐलान किया ताकि मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी सदस्यों के चुनाव के लिए जरूरी इंतजाम कर लिए जाएं। इस दौरान बीजपी के कुछ पार्षदों ने मोदी-मोदी के नारे लगाने शुरू कर दिए। कुछ ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ भी नारेबाजी की। 2:33 पर सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो आप पार्षद मुकेश गोयल ने कहा कि ऐसे सदस्यों को सदन के बाहर कर दिया जाए जिनके पास वोटिंग का अधिकार नहीं है। ‘आप’ के अन्य पार्षदों ने उनका समर्थन किया और इसके बाद बात इस कदर बिगड़ी कि कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।
एक बार फिर दोनों पार्टियों के पार्षद आमने-सामने आ गए। कुछ बेंच पर चढ़ गए तो कुछ एक दूसरे से धक्का-मुक्की करने लगे। मोदी और केजरीवाल के नारे गूंजने लगे। स्थिति 6 जनवरी से अलग नहीं थी। हंगामे के बीच पीठासीन अधिकारी सदन से बाहर चले गए। इसके बाद भाजपा पार्षद भी बाहर जाने लगे। इस बीच आप के पार्षद प्रवीण कुमार पोडियम पर गए और म्यूनिसिपल सेक्रटरी से बात करने गए तो भाजपा के कुछ पार्षदों ने उन्हें घेर लिया। उनका कहना था कि पार्षद जब तक मेयर चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है निर्वाचित पार्षद पोडियम पर जाकर अधिकारियों से बात नहीं कर सकते हैं।
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मार्शल और सिविल डिफेंस के वॉलेंटियर पोडियम के सामने रक्षा पंक्ति बनाकर खड़े थे और सदस्यों को ऊपर जाने से रोक रहे थे। भाजपा पार्षदों ने आरोप लगाया कि आप पार्षदों ने एक सांसद के लिए असंवैधानिक शब्दों का इस्तेमाल किया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। आप नेताओं ने आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन दोनों पक्ष बहस में जुटे रहे।