Home आगरा श्रावण माह विशेष: शिव की पूजा से पाएं मनचाहा वरदान, ऐसे दूर करें सभी दोष

आगरा: श्रावण माह के आते ही पृथ्वी हरे रंग की चादर ओढ़ लेती है और साधक शिव की भक्ति में लीन हो जाता है। श्रावण ही ऐसा माह है, जब कृष्ण गोपिकाओं के साथ और शिव सभी देवताओं के साथ पृथ्वी पर होते हैं। इस पूरे माह देवराज इंद्र शिव पर निरंतर रिमझिम वर्षा करके शीतलता प्रदान करते हैं। श्रावण में शिवपूजा करना, कांवड़ चढाना, रुद्राभिषेक करना, शिव नाम कीर्तन करना, शिवपुराण का पाठ करना अथवा शिव कथा सुनना, दान-पुण्य करना तथा ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना अतिशुभ माना गया है।

शिव की पूजा से पाएं मनचाहा वर

श्रावण माह की प्रत्येक घड़ी-प्रहर परम शुभ है, इसके महत्व को समझते हुए माता सती ने जब दूसरे जन्म में पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया तो पुनः महादेव को पति रूप में पाने के लिए पूरे श्रावण माह व्रत किया और शिव को पति रूप में पुनः प्राप्त किया। कुवांरी कन्याओं को इस दिन व्रत करने से मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों का वैधव्य योग भी नष्ट होजाता है।

शिवलिंग पूजन से दूर होंगे सभी दोष

श्रावण में शिवलिंग की पूजा करने से जन्मकुंडली के नवग्रह दोष तो शांत होते हैं, विशेष करके चंद्र्जनित दोष जैसे मानसिक अशान्ति, मां के सुख और स्वास्थ्य में कमी, मित्रों से संबंध, मकान-वाहन के सुख में विलंब, हृदयरोग, नेत्र विकार, चर्म-कुष्ट रोग, नजला-जुकाम, स्वांस रोग, कफ-निमोनिया संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है और समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ती है।

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इस मंत्र से पूरी होगी मनोकामना

इस वर्ष श्रावण का पहला दिन 17 जुलाई 2019, बुधवार को सूर्य के नक्षत्र उत्तराषाढ़ में पड़ने से और भी शुभ हो गया है। सुहागिन महिलाओं को इस दिन मां पार्वती को श्रृंगार हेतु मेंहदी चढ़ानी चाहिए और पुरुषों को पंचामृत, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराकर बेलपत्र पर अष्टगंध, कुमकुम अथवा चंदन से राम-राम लिखकर ‘ॐ नमः शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नमः शिवाय’ कहते हुए शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। साथ ही भांग, धतूरा और मदार पुष्प तथा गंगाजल भी अर्पित हुए ‘काल हरो हर, कष्ट हरो हर, दुःख हरो,दारिद्रय हरो, नमामि शंकर भजामि शंकर शंकर शंभो तव शरणं’ मंत्र से प्रार्थना करनी चाहिए।

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शिव को प्रिय हैं ये चीजें, पूजा में जरूर करें प्रयोग

प्रतिदिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से व्यापर और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है, भांग अर्पण से प्रेत बाधा तथा चिंता दूर होती है। मदार पुष्प से नेत्र और हृदय विकार दूर रहतें हैं, धतूरे से विषैले जीवों से खतरा समाप्त हो जाता है। शमी पत्र चढ़ाने से शनि की साढ़ेसाती, मारकेश तथा अशुभ ग्रह-गोचर से हानि नहीं होती, इसलिए श्रावण के एक-एक क्षण का सदुपयोग करें और त्रिविध तापों से मुक्ति पाएं।

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