लखनऊ: मायावती सरकार में हुए 1100 करोड़ के चीनी मिल घोटाले में सीबीआइ की छापेमारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। ईडी ने भी इस घोटाले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत केस दर्ज कर लिया है। दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय से मंजूरी मिलते ही लखनऊ स्थित ईडी के जोनल कार्यालय ने यह कार्रवाई की है। ईडी अब एफआइआर में नामजद आरोपितों के अलावा बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबी रहे पूर्व आइएएस नेतराम समेत अन्य अफसरों पर भी शिकंजा कसेगी।
बता दे कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 अप्रैल, 2018 को चीनी मिल घोटाले की सीबीआइ जांच कराने की सिफारिश की थी। आरोप है कि बसपा सरकार में 21 चीनी मिलों को औने-पौने दामों में बेचकर करीब 1100 करोड़ का घोटाला किया गया था। चीनी निगम की 10 संचालित व 11 बंद पड़ी चीनी मिलों को वर्ष 2010-2011 में बेचा गया था। सीबीआइ लखनऊ की एंटी करेप्शन ब्रांच ने इसी वर्ष अप्रैल माह में चीनी मिल घोटाले का केस दर्ज किया था। सीबीआइ ने लखनऊ के गोमतीनगर थाने में सात नवंबर 2017 को दर्ज कराई गई एफआइआर को अपने केस का आधार बनाते हुए सात चीनी मिलों में हुई धांधली में रेगुलर केस दर्ज किया था, जबकि 14 चीनी मिलों में हुई धांधली को लेकर छह प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की गईं थीं।
मंगलवार को सीबीआइ एक्शन में आई थी और चीनी मिल घोटाले में बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रमुख सचिव रहे पूर्व आइएएस अधिकारी नेतराम व बसपा सरकार में चीनी मिल निगम संघ के एमडी रहे विनय प्रिय दुबे (अब सेवानिवृत्त) के घरों समेत 14 ठिकानों में छापेमारी की थी। पूर्व एमएलसी इकबाल के दो बेटे मु.जावेद व वाजिद के ठिकानों को भी सीबीआइ ने खंगाला था। चीनी मिल घोटाले में जावेद व वाजिद नामजद आरोपित हैं। चीनी मिले खरीदने वाली दो फर्मों के संचालकों की संपत्तियां भी ईडी के निशाने पर होंगी। ईडी खासकर घोटाले की रकम से जुटाई गई संपत्तियों का ब्योरा खंगालेगी।
सीबीआइ ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज, हरदोई, रामकोला, छितौनी व बाराबंकी स्थित सात चीनी मिलें खरीदने के मामले में दिल्ली निवासी राकेश शर्मा, उनकी पत्नी सुमन शर्मा, गाजियाबाद निवासी धर्मेंद्र गुप्ता, सहारनपुर निवासी सौरभ मुकुंद, मु.जावेद, मु.वाजिद अली व मु.नसीम अहमद के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया था।