नौबस्ता पुलिस ने भिखारी गैंग के फरार सरगना के भाई और मां को अरेस्ट किया है। ये दोनों कानपुर और आसपास के शहरों से बच्चों, महिलाओं को अगवा करता है। फिर उन्हें अपाहिज बनाकर दिल्ली और मुंबई में भिखारी गैंग को बेच देता था।
कानपुर के नौबस्ता इलाके के यशोदा नगर से लापता सुरेश मांझी 6 महीने बाद घर लौटा तो बेहद गंभीर हालत में था। पता चला कि भिखारी गैंग ने अगवा कर दिया था। आंख फोड़ने और हाथ-पैर तोड़ने के साथ ही अपाहिज बनाकर दिल्ली के रेड सिग्ननल और चौराहों पर भीख मंगवा रहे थे।
नौबस्ता पुलिस ने सुरेश मांझी की तहरीर पर मछरिया गुलाबी बिल्डिंग के पास रहने वाले विजय, एक महिला और उसके भाई राज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू की थी। मामले की जांच कर रहे ACP गोविंदनगर विकास पांडेय ने बताया कि सरगना विजय कानपुर से फरार हो गया है।
दिल्ली छापेमारी करने गई टीम भी खाली हाथ लौटी है। विजय की सूचना पर दिल्ली में भी गैंग में शामिल शातिर फोन बंद करके भाग निकले हैं। विजय की मां आशा देवी और उसके भाई को मंगलवार को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया। अब दोनों को जेल भेजा जा रहा है।
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एसीपी गोविंद नगर विकास पांडेय ने बताया कि महिला आशा देवी और राज ने बताया कि उनके सामने ही युवकों व बच्चों को अगवा करने के बाद केमिकल डालकर आंख फोड़ी जाती थी। हाथ-पैर तोड़कर अपाहिज बनाया जाता था। इसके बाद दोनों को दिल्ली और मुंबई में सक्रिय भिखारी गैंग को लाखों में बेच दिया जाता था।
दोनों के सामने गैंग का सरगना विजय पूरा काम करता था। इसके चलते दोनों को दोषी बनाने के बाद नौबस्ता पुलिस ने अरेस्ट कर लिया। अब रिमांड पर लेकर पूछताछ के साथ ही दूसरे राज्य ले जाकर पूछताछ कर सकती है।
भिखारी गैंग से बचकर आए सुरेश मांझी ने कहा कि भिखारी गैंग रोजाना उनके शरीर पर इतने जख्म देती कि कोई भी देखकर पसीज उठे। रोजाना सुबह-शाम नशे का इंजेक्शन दिया जाता। सुबह 4 बजे ही दिल्ली के रेड सिग्नल पर भीख मांगने के लिए छोड़ दिया जाता। इतना भूखा रखते कि कोई भी देखकर पसीज उठता। कुछ घंटे में 1500 से 2000 रुपए भीख मिल जाती थी। भिखारियों का गैंग दिनभर उन पर नजर रखता था।