प्रयागराज: भारतीय क्रिकेटर मो. शमी की पत्नी हसीन जहां द्वारा पुलिस और शमी के परिजनों पर हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर मानवाधिकार हनन के आरोपों को अमरोहा के डिडौली थाने की पुलिस ने नकार दिया है। कहा है कि सुप्रीमकोर्ट द्वारा डीके वसु केस में दी गई गाइड लाइन का डिडौली थाने की पुलिस ने उल्लंघन किया है। इस पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार से जानकारी मांगी थी।
बृहस्पतिवार को केस की सुनवाई के दौरान डिडौली पुलिस ने विवेचना की स्थिति प्रस्तुत की। अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता संजय कुमार सिंह ने थाने से आई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि याचिका में जो आरोप लगाए गए हैं, वह गलत हैं। वास्तव में ऐसा कुछ नहीं हुआ था, जैसा कि याचिका में कहा गया है। कोर्ट ने हसीन जहां को इस पर आपत्ति दाखिल करने के लिए समय देते हुए सुनवाई के लिए 25 जुलाई की तारीख लगा दी।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने दिया है। याचिका में अमरोहा की डिडौली पुलिस पर आरोप लगाया गया है कि गत 28 अप्रैल 19 को हसीन जहां अपनी बेटी और आया के साथ घर में थी। रात लगभग साढ़े आठ बजे एसएचओ देवेंद्र कुमार अन्य पुलिस कर्मियों के साथ आए और उनके देवर से बात कर चले गए। रात 12 बजे पुलिस दोबारा घर पर आई और बच्ची व आया के साथ उन्हें जबरन थाने ले गई और रातभर थाने में बैठाए रखा।
आरोप है कि पुलिस ने यह कार्रवाई शमी और उनके भाइयों के दबाव में की। दूसरे दिन यानी 29 अप्रैल को सुबह नौ बजे के बाद पुलिस ने चालान काटा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। याची ने पुलिस की इस कार्रवाई को डीके बसु के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन बताया है। याचिका में एसएचओ देवेंद्र कुमार, उपनिरीक्षक केपी सिंह, मुनीर जैदी, अमरीश कुमार व संजीव बालियान को विपक्षी के रूप में पक्षकार बनाया गया है।