आगरा: पिछले सप्ताह बृहस्पतिवार को राज्यसभा में ”आधार संशोधन बिल 2019” विधेयक ही पारित किया जा चुका है| संशोधित बिल में बैंक में खाता खोलने, मोबाइल फोन का सिम लेने के लिए आधार को स्वैच्छिक बनाया गया है| इसका मतलब यह हुआ कि जिन ग्राहकों के पास आधार नहीं है वह वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पासपोर्ट, राशन कार्ड या अन्य डॉक्युमेंट की कॉपी देकर बैंक अकाउंट या सिम कार्ड जारी करवा सकते हैं| अब टेलिकॉम कंपनियां या बैंक, ग्राहकों की सहमति पर ही आधार का इस्तेमाल कर सकेंगे|
इस संशोधित बिल के बाद नाबालिग आधार धारक 18 साल की आयु पूरी करने पर अपनी आधार संख्या को रद्द करा सकता है| यही नहीं, आधार से जुड़े प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले निकायों पर 1 करोड़ रुपये तक का आर्थिक जुर्माना लगाने का प्रावधान है|
इसका पालन नहीं करने की स्थिति में प्रति दिन 10 लाख रुपये के अतिरिक्त जुर्माने का प्रावधान है| इसी तरह आधार के अवैध इस्तेमाल की स्थिति में भी जुर्माने का प्रावधान है|
इस बिल पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि इस संशेधन बिल में यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी के पास आधार नहीं होने की स्थिति में उसे राशन या अन्य जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है|
इस बारे में कोई सूचना जाहिर करने के लिये धारक से अनुमति प्राप्त करनी होगी. प्रसाद ने कहा कि देश में 123 करोड़ आधार धारक हैं और इनसे जुड़ी किसी जानकारी को निजी कंपनियों या किसी अन्य पक्ष को लीक या जारी नहीं किया जा सकता है|