अयोध्या: मकर संक्रांति 15 जनवरी के पहले रामलला को भव्य सोने के मंदिर में विराजमान करने की योजना लेकर रामालय ट्रस्ट के सचिव अविमुक्तेश्वरानंद अयोध्या पहुचें। पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर ट्रस्ट को भूमि सौंप देने की मांग की है। जिससे अधिग्रहित क्षेत्र में ट्रस्ट भब्य मंदिर का निर्माण करा सके। जानकी महल बड़ा स्थान के महंत जन्मेजय शरण और रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के साथ मंदिर मॉडल के कच्चे नक्से को दिखाकर गहन मंत्रणा की।
उन्होंने बताया रामलला त्रिपाल में बैठे हैं और मंदिर बनने में अभी काफी समय लगेगा। इसीलिए देश के संत- महंतों के साथ विचार विमर्श कर निर्णय लिया गया है कि भव्य मंदिर बनने के पहले एक सोने का विशालतम मंदिर बनवाकर रामलला को विराजमान कर दिया जाए। इसके लिए चेन्नई के प्रसिद्ध कारीगरों से नक्शा बनवाया गया है। संतों के एक मत होते ही कार्य शुरू हो जाएगा।
अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया 500 वर्षों के संघर्ष के बाद राम की जन्मभूमि में मंदिर बनाने का अवसर आया है। सभी सनातन धर्मियों का मानना है कि भगवान राम का मंदिर इतना भब्य बने जो अभी तक दुनिया ने न देखस हो और आगे उस तरह का मंदिर दोबारा न बन पाए।उन्होंने कहा अभी तक कंबोडिया के अंकोरवाट का मंदिर विश्व का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। उसमें आर्यन शैली का प्रयोग हुआ है।
उन्होंने इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि दक्षिण और उत्तर का सामंजस्य करके वास्तु विधान और शास्त्र की विधि से एक भव्य सोने का दिव्य मंदिर बनाने की योजना है। जिसका शिखर 1008 फिट ऊंचा होगा। जिसमें एक साथ 1 लाख 1 हजार लोग बैठकर भगवान का प्रसाद ग्रहण कर सकें।