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फरवरी माह में ही गर्मी का आलम यह है कि मिट्टी की नमी भी खत्म हो गई है। हवा में नमी कम से कम 30 फीसदी तक पहुंच गई। यह तस्वीर किसानों के लिए मुश्किल है। ऐसे में किसानों के पास अपनी फसल बचाने के लिए सिंचाई के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था। मिट्टी के 60 फीट अंदर भी नमी की मात्रा बहुत कम हो जाती है। इस बार बारिश नहीं होने से स्वाभाविक है कि मिट्टी में नमी कम हो जाएगी। मौसम विज्ञान ब्यूरो का कहना है कि 24 घंटे बाद एक पश्चिमी विक्षोभ के कारण तापमान फिर से बढ़ेगा।
चंद्रशेखर आज़ाद यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी (CSA) के मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, फरवरी में 24 में से 13 दिन ऐसे थे जब न्यूनतम आर्द्रता का प्रतिशत 50 या उससे कम था। 21 दिनों तक आर्द्रता का प्रतिशत 60 से कम रहा। फरवरी में न्यूनतम आर्द्रता प्रतिशत 60-70 के बीच रहना चाहिए। अधिकतम आद्रता भी 90 फीसदी से 11 गुना कम रही। यह आमतौर पर इस सीजन में 90 के दशक में रहना चाहिए।
इन दिनों हवा की नमी उड़ गई
सीएसए में उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 14 फरवरी को अधिकतम हवा में नमी 68 फीसदी थी। 13 व 15 फरवरी को अधिकतम आद्रता 71 प्रतिशत रही। इसी तरह, 23 फरवरी को न्यूनतम आर्द्रता प्रतिशत गिरकर 30 प्रतिशत हो गया। 22 फरवरी को यह 37 फीसदी पर रहा। इस मौसम में न्यूनतम नमी प्रतिशत 50 से नीचे रहने पर प्रतिकूल फसल परिणाम की संभावना बढ़ जाती है। खेती की लागत भी बढ़ रही है।
60 फीट से नीचे की आद्रता भी कम है
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार जमीन के नीचे 60 फीट की गहराई पर नमी का प्रतिशत 12 से 15 प्रतिशत ही रह गया। यह आंकड़ा 21 फरवरी का है। हालांकि, फरवरी में भूमिगत नमी की स्थिति बहुत खराब थी। इसलिए गेहूं की फसल को बचाने के लिए किसानों को लगातार सिंचाई करने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि फरवरी में बारिश नहीं होती है।
सीएसए के मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि अधिकतम तापमान बढ़ने से हवा में नमी का प्रतिशत कम होने लगा है। इस वजह से जमीन के अंदर की नमी भी कम हो गई। इसलिए किसानों को अपने खेतों में पानी लगाने की सलाह दी गई है।
छह दिनों के बाद दिन का तापमान 30 से नीचे चला गया
फरवरी में छह दिनों के बाद रोजाना का तापमान फिर 30 डिग्री से नीचे चला गया। इसके बावजूद यह अभी भी सामान्य से ऊपर बना हुआ है। सर्द हवा चलने से रात के तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई। लगातार गर्म हो रहे फरवरी महीने में यह बदलाव राहत देने वाला रहा। मौसम विज्ञान ब्यूरो का कहना है कि 24 घंटे बाद एक पश्चिमी विक्षोभ के कारण तापमान फिर से बढ़ेगा।
19 फरवरी को अधिकतम तापमान 30 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था। तब से अब तक पारा 30 या इससे ऊपर बना हुआ है। सीएसए मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, शुक्रवार को दैनिक पारा 31.4 से गिरकर 29 डिग्री सेल्सियस (30.4) पर आ गया। इसी तरह रात भर भाप 12.0 से 10.5 डिग्री सेल्सियस (15.7 वायु सेना) आई। तापमान में गिरावट आने से शहरवासियों को थोड़ी राहत मिली। लगातार पश्चिमी विक्षोभ का असर खत्म होते ही ठंडी उत्तर-पश्चिमी हवाएं चलने लगीं। सुबह हल्के बादल भी छाए रहे। इसके बाद दिन भर धूप-छांव का खेल चलता रहा। इससे दिन के तापमान में कमी आई।
रात में चल रही तेज ठंडी हवा के कारण पारा लुढ़क गया। लेकिन दोपहर बाद ये तेज सर्द हवाएं थम गईं। सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण तापमान में उतार-चढ़ाव रहता है।